65+ दोस्ती पर मशहूर शायरों की शायरी -2023

दोस्तों एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, जिन लोगों के अच्छे दोस्त होते हैं उन्हें कभी भी डिप्रेशन अथवा मानसिक तनाव और ह्रदय से सम्भातित बीमारियां होने का खतरा बहुत हद तक कम हो जाती हैं। यदि आपके साथ एक इमानदार और बनावटी दोस्ती रहित कोई दोस्त है, तो आपको किसी भी परिस्थिति से बहुत कम समय में ही बाहर निकलने में सहायता मिलती है।

 दुनिया में कुछ रिश्ते ऐसे हैं जो हमें भगवान की तरफ़ से नहीं मिलते है, लेकिन हम ख़ुद अपनी ज़िंदग़ी के लिए दोस्त चुनते हैं। उन्हीं में से एक रिश्ता है दोस्ती का, हम अपने दोस्त ख़ुद ही बनाते हैं। ये दोस्त हमारी खुशी हो या  ग़म दोनों परिस्थिति में हमारे साथ रहते हैं। इन्हीं दोस्तों के नाम शायरों ने भी बहुत ख़ूब कलाम लिखे | जिन्हें हम आज आपके लिए दोस्ती पर मशहूर शायरों की शायरी प्रश्तुत कर रहे है |

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आसमान से तोड़ कर सितारा दिया है, आलम-ए-तन्हाई में एक शरारा दिया है, मेरी किस्मत भी नाज़ करती है मुझपे, खुदा ने दोस्त ही इतना प्यारा दिया है.-Rahat Indori

शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ – वसीम बरेलवी

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​, फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​, ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​, अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।-Rahat Indori

दोस्ती पर मशहूर शायरों की शायरी

दोस्ती अपनी भी असर रखती है फ़राज़ बहुत याद आएँगे ज़रा भूल कर तो देखो- अहमद फ़राज़

दोस्त बनकर भी नहीं साथ निभानेवाला वही अंदाज है जालिम का जमानेवाला – अहमद फ़राज़

मेरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए तू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए – शाज़ तमकनत

अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए – अहमद फ़राज़

दोस्ती जब किसी से की जाए दुश्मनों की भी राय ली जाए – राहत इंदौरी

बुरे दिनो से बचाना मुझे मेरे मौला करीबी दोस्त भी बचकर निकलने लगते हैं – राहत इंदौरी

दोस्त है तो मेरा कहा भी मान मुझसे शिकवा भी कर, बुरा भी मान – राहत इंदौरी

दोस्तों से मुलाकात के नाम पर नीम की पत्तियाँ चबाया करो – राहत इंदौरी

हम को यारों ने याद भी न रखा ‘जौन’ यारों के यार थे हम तो – जौन एलिया

मै उसका दोस्त हु अच्छा, यही नहीं काफी उम्मीद और भी कुछ दोस्ती से करता है – अतुल अजनबी

तुझे कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले तिरा हुस्न कुछ नहीं था मिरी शाइरी से पहले – कैफ़ भोपाली

दाग दुनिया ने दिए, जख्म जमाने से मिले हमको तोहफे ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले – कैफ़ भोपाली

उसको जानता हूँ में दोस्ती है पहले से दूसरे की साथी है तीसरे से मिलती है – सतलज राहत

एक इसी उम्मीद पे हैं सब दुश्मन दोस्त क़ुबूल क्या जाने इस सादा-रवी में कौन कहाँ मिल जाए – जमीलुद्दीन आली

तुने नाहक मेरी बातो का बुरा माना है दोस्त गौर करना बस मिरा कहना कि जो था वो न था – परवेज़ वारिस

वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का जो पिछली रात से याद आ रहा है – नासिर काज़मी

मैं बहुत कम किसी से मिलता हूँ जिससे यारी है उससे यारी है – अख़्तर नज़्मी

हटाए थे जो राह से दोस्तों की वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं – ख़ुमार बाराबंकवी

दुश्मनों से प्यार होता जाएगा दोस्तों को आज़माते जाइए – ख़ुमार बाराबंकवी

इलाही मेरे दोस्त हों ख़ैरियत से ये क्यूँ घर में पत्थर नहीं आ रहे हैं – ख़ुमार बाराबंकवी

हम तो अब भी है उसी तन्हा-रवि के कायल दोस्त बन जाते है कुछ लोग सफ़र में खुद ही – नौमान शौक

कीजिए कुछ नया, कहता है बदलता मौसम नए कुछ दोस्त बनाओ, कि नया साल है आज – कुलदीप सलिल

बता दिया की बुज़ुज़ दोस्त और भी कुछ है ‘फ़लक़’ किसी ने मेरी जिंदगी में आ के मुझे – हीरालाल फलक देहलवी

वह मेरा दोस्त है या दुश्मन है क्यों रखे मेरा ध्यान है यारो – मीर तकी मीर

दोस्ती दोस्तों के बाइस है तीर है तो कमान है यारो – मीर तकी मीर

ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता – मिर्ज़ा ग़ालिब

फ़ाएदा क्या सोच आख़िर तू भी दाना है ‘असद’ दोस्ती नादाँ की है जी का ज़ियाँ हो जाएगा – मिर्ज़ा ग़ालिब

दोस्त दारे-दुश्मन है, एतमादे-दिल मालूम आह बेअसर देखी, नाला नारसा पाया – मिर्ज़ा ग़ालिब

ता करे न गम्माजी, कर लिया है दुश्मन को दोस्त की शिकायत में हमने हमजबा अपना – मिर्ज़ा ग़ालिब

ये कहा कि दोस्ती है, बने है दोस्त नासेह कोई चारासाज होता, कोई गमगुसार होता – मिर्ज़ा ग़ालिब

तू दोस्त किसी का भी सितमगर न हुआ था औरो पे है वो जुल्म की मुझ पर न हुआ था – मिर्ज़ा ग़ालिब

दिन एक सितम, एक सितम रात करो हो वो दोस्त हो दुश्मन को भी तुम मात करो हो – कलीम आजिज़

कौन रोता है किसी और कि खातिर, ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया – साहिर लुधियानवी

दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से – हफ़ीज़ होशियारपुरी

मैं तौबा दोस्ती से कर तो लूँ लेकिन हमेशा पीठ पे ख़ंजर नहीं आया – आतिश इंदौरी

मैं उसूलों में कोई ढील नहीं कर सकता दोस्ती इश्क़ में तब्दील नहीं कर सकता – आतिश इंदौरी

ताक़त को आज़मा तो लिया, दोस्तों ने भी, अपने ही दोस्तों कि कलाई मरोड कर – जमील मलिक

जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुलह की दुआ दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो – माधव राम जौहर

तुझे कौन जानता था मेरी दोस्ती से पहले तेरा हुस्न कुछ नहीं था मेरी शाइरी से पहले – कैफ़ भोपाली

पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन जो दिल पे लगा आ कर इक दोस्त ने मारा है – सुहैल अज़ीमाबादी

अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए – माहिर-उल क़ादरी

ख़ुदा के वास्ते मौक़ा न दे शिकायत का कि दोस्ती की तरह दुश्मनी निभाया कर – साक़ी फ़ारुक़ी

मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी मुझे कैसे गवारा हो गई थी दुश्मनी अपनी – एहसान दानिश

दोस्ती और किसी ग़रज़ के लिए वो तिजारत है दोस्ती ही नहीं – इस्माइल मेरठी

दोस्ती को बुरा समझते हैं क्या समझ है वो क्या समझते हैं – नूह नारवी

दुश्मनी ने सुना न होगा जो हमें दोस्ती ने दिखलाया – ख़्वाजा मीर दर्द

दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो मैं तुम्हारी दोस्ती में मेहरबाँ मारा गया – इम्दाद इमाम असर

माना के दोस्तों को नहीं दोस्ती का पास लेकिन ये क्या के ग़ैर का एहसान लीजिये – शहरयार

दोस्ती बंदगी वफ़ा-ओ-ख़ुलूस हम ये शम्अ’ जलाना भूल गए – अंजुम लुधियानवी

मुझे दुश्मन से अपने इश्क़ सा है मैं तन्हा आदमी की दोस्ती हूँ – बाक़र मेहदी

तुम्हारी दोस्त-नवाजी में गर कमी होती ज़मीं टूट के तारों पे गिर गई होती – सलमान अख्तर

परछाईं बन के साथ रहे तेज़ धूप में बीमार दोस्तों के लिए हम दवा हुए – सलमान अख्तर

लोग डरते हैं दुश्मनी से तेरी हम तेरी दोस्ती से डरते हैं – हबीब जालिब

हटाए थे जो राह से दोस्तों की वो पत्थर मेरे घर में आने लगे हैं – ख़ुमार बाराबंकवी

हम को यारों ने याद भी न रखा ‘जौन’ यारों के यार थे हम तो – जौन एलिया

दुश्मनों से प्यार होता जाएगा दोस्तों को आज़माते जाइए – ख़ुमार बाराबंकव

‘शाइर’ उन की दोस्ती का अब भी दम भरते हैं आप ठोकरें खा कर तो सुनते हैं सँभल जाते हैं लोग – हिमायत अली शाएर

निगाह-ए-नाज़ की पहली सी बरहमी भी गई मैं दोस्ती को ही रोता था दुश्मनी भी गई – माइल लखनवी

तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों को दोस्तो अपने तअ’ल्लुक़ को सँवारा जाए – संतोष खिरवड़कर

सौ बार तार तार किया तो भी अब तलक साबित वही है दस्त ओ गरेबाँ की दोस्ती – शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है दोस्तों ने भी क्या कमी की है – हबीब जालिब

कुछ समझ कर उस मह-ए-ख़ूबी से की थी दोस्ती ये न समझे थे कि दुश्मन आसमाँ हो जाएगा – इम्दाद इमाम असर

मुझे जो दोस्ती है उस को दुश्मनी मुझ से न इख़्तियार है उस का न मेरा चारा है – ग़मगीन देहलवी

ज़िद हर इक बात पर नहीं अच्छी दोस्त की दोस्त मान लेते हैं – दाग़ देहलवी

खुदा जब दोस्त है ऐ दाग क्या दुश्मन से अंदेशा हमारा कुछ किसी की दुशमनी से हो नहीं सकता – दाग देहलवी

मेहरबाँ तेरी नज़र, तेरी अदाएं कातिल तुझको किस नाम से ऐ दोस्त पुकारा जाये – क़तील शिफ़ाई

सब दोस्त मेरे मुंतजिरे-पर्दा-ए-शब् थे दिन में तो सफ़र करने में दिक्कत भी बहुत थी – परवीन शाकिर

दुश्मनों के सितम का ख़ौफ़ नहीं दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं – शकील बदायुन

वो कैसे लोग होते है जिन्हें हम दोस्त कहते है न कोई खून का रिश्ता ना कोई साथ सदियों का मगर एहसास अपनों सा वो अनजाने दिलाते है – इरफ़ान अहमद मीर

आ की तुझ बिन इस तरह ए दोस्त घबराता हूँ मै जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मै – जिगर मुरादाबादी

तारीफ सुनके दोस्त से ‘अल्वी’ तू खुश न हो उसको तेरी बुराईयां करते हुए भी देख – मुहम्मद अलवी

मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला – बशीर बद्र

दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं – हफ़ीज़ जालंधरी

तेरे अहबाब तुझसे मिल के फिर मायूस लौट गये तुझे नौशाद कैसी चुप लगी थी, कुछ कहा होता – नौशाद लखनवी

हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया – हरी चंद अख़्तर

मेरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए तू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए – शाज़ तमकनत

दुश्मनी ने सुना न होगा जो हमें दोस्ती ने दिखलाया – ख़्वाजा मीर ‘दर्द’

शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ – वसीम बरेलवी

मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला – बशीर बद्र

भूल शायद बहुत बड़ी कर ली दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली – बशीर बद्र

दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है दोस्तों ने भी क्या कमी की है – हबीब जालिब

लोग डरते हैं दुश्मनी से तिरी हम तिरी दोस्ती से डरते हैं – हबीब जालिब

मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे – शकील बदायुनी

मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है – शकील बदायुनी

दुश्मनों के सितम का ख़ौफ़ नहीं दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं – शकील बदायुनी

दोस्ती जब किसी से की जाए दुश्मनों की भी राय ली जाए – राहत इंदौरी

ये सिखाया है दोस्ती ने हमें दोस्त बन कर कभी वफ़ा न करो – सुदर्शन फ़ाकिर

छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़ दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये – अदम गोंडवी

दोस्त हम उसको ही पैग़ाम-ए-करम समझेंगे तेरी फ़ुर्क़त का जो जलता हुआ लम्हा होगा – अब्बास अली दाना

ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा है – लाला माधव राम जौहर

जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुलह की दुआ दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो – लाला माधव राम जौहर

दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से – हफ़ीज़ होशियारपुरी

दोस्त दो-चार निकलते हैं कहीं लाखों में जितने होते हैं सिवा उतने ही कम होते हैं – लाला माधव राम जौहर

दोस्त दिल रखने को करते हैं बहाने क्या क्या रोज़ झूटी ख़बर-ए-वस्ल सुना जाते हैं – लाला माधव राम जौहर

आ गया ‘जौहर’ अजब उल्टा ज़माना क्या कहें दोस्त वो करते हैं बातें जो अदू करते नहीं – लाला माधव राम जौहर

दिल है एक और दो आलम का तमन्नाई है दोस्त का दोस्त है हरजाई का हरजाई है – इक़बाल अशहर

दोस्त दिल रखने को करते हैं बहाने क्या किया रोज़ झूटी ख़बर-ए-वस्ल सुना जाते हैं – माधव राम जौहर

किसको कातिल मै कहू किसको मसीहा समझू सब यहाँ दोस्त ही बैठे है किसे क्या समझू – अहमद नदीम कासमी

ग़रीबी छूत का है रोग शायद मेरा हर दोस्त मुझ से बच रहा है – राज़िक अंसारी

दोस्त हो जब दुश्मन-ए-जाँ तो क्या मालूम हो आदमी को किस तरह अपनी कज़ा मालूम हो – ख्वाज़ा हैदर अली आतिश

दोस्तों! नाव को अब खूब संभाले रखियो हमने नजदीक ही इक ख़ास भंवर देखी है – गोपाल दास नीरज

आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं – जिगर मुरादाबादी

सुन के दुश्मन भी दोस्त हो जाए शहद से लफ़्ज़ भी ज़बान में रख – उमैर मंज़र

मेरे दोस्तों की पहचान इतनी मुशिकल नहीं “फराज” वो हँसना भूल जाते हैं मुझे रोता देखकर- अहमद फ़राज़

आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं (शय = चीज़)- जिगर मुरादाबादी

हर पल की दोस्ती का इरादा है आपसे, अपनापन ही कुछ ज्यादा है आपसे, साथ रहेंगे आपके उम्र भर के लिए, हमेशा दोस्ती निभाएंगे वादा है आपसे.

जिक्र हुआ जब खुदा की रहमतों का, हमने खुद को खुश नसीब पाया, तमन्ना थी एक प्यारे से दोस्त की, खुदा खुद दोस्त बनकर चला आया.

हम दोस्त बनाकर किसी को रुलाते नही, दिल में बसाकर किसी को भुलाते नही, हम तो दोस्त के लिए जान भी दे सकते हैं, पर लोग सोचते हैं की हम दोस्ती निभाते नहीं.

दोस्ती दर्द नहीं खुशियों की सौगात है, किसी अपने का ज़िंदगी भर का साथ है, ये तो दिलों का वो खूबसूरत एहसास है, जिसके दम से रौशन ये सारी कायनात है.

गुनाह करके सजा से डरते है, ज़हर पी के दवा से डरते है, दुश्मनो के सितम का खौफ नहीं हमे, हम दोस्तों के खफा होने से डरते है.

दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं – हफ़ीज़ जालंधर

साथ अगर दोगे तो मुस्कुराएंगे ज़रूर, प्यार अगर दिल से करोगे तो निभाएंगे ज़रूर, कितने भी काँटे क्यों ना हों दोस्ती की राहों में, आवाज़ अगर दिल से दोगे तो आएंगे ज़रूर.

सच्ची है मेरी दोस्ती आजमा के देखलो, करके यकीं मुझ पे मेरे पास आ के देखलो. बदलता नहीं कभी सोना अपना रंग, जितनी बार चाहे आग लगा कर देखलो.

ज़िन्दगी नहीं हमे दोस्तों से प्यारी, दोस्तों के लिए हाजिर है जान हमारी, आँखों में हमारी आँसू है तो क्या, खुदा से भी प्यारी है मुस्कान तुम्हारी.

मिलना बिछड़ना सब किस्मत का खेल है, कभी नफरत तो कभी दिलों का मेल है, बिक जाता है हर रिस्ता इस जमाने में, सिर्फ दोस्ती ही यहाँ नोट फॉर सेल है.

हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया – हरी चंद अख़्तर

जो कोई समझ न सके वो बात है हम, जो ढल के नई सुबह लाये वो रात हैं हम, छोड़ देते हैं लोग रिस्ते बनाकर यूँ ही, जो कभी न छूटे ऐसा साथ हैं हम.

इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ – अहमद फ़राज़

दोस्ती नाम है सुख-दुःख की कहानी का, दोस्ती राज है सदा ही मुस्कुराने का, ये कोई पल भर की जान-पहचान नहीं है, दोस्ती वादा है उम्र भर साथ निभाने का.