हर दिन आज के आधुनिक युग में दिन ब दिन नई नई टेक्नोलॉजी आ रही है और हमारे देश में दिन ब दिन बदलाव होता जा रहा है हमारा देश तरकी तो कर रहा है, लेकिन हम सब एक बात को भूल रहे हैं जो है पर्यावरण का संतुलन रखकर तरकी करना, दोस्तों हम सभी के जीवन में अनेक प्रकर की तकनीक उत्पन्न हुई है, जो दिन ब दिन जीवन की संभावनाओं को खतरे में डाल रही है तथा पर्यावरण को नष्ट कर रही है। जिस तरह से प्राकृतिक हवा, पानी, और मिट्टी दुषित हो रहे हैं, यहाँ तक की इसने अपना बुरा प्रभाव मनुष्य, जानवर, पेड़ तथा अन्य जैविक प्राणी पर दिखाना शुरू कर दिया है। कृत्रिम रूप से तैयार खाद तथा हानिकारक रसायनों का उपयोग मिट्टी की उपजाऊपन को नष्ट करता है, तथा हम जो रोज खाना खाते है उसके माध्यम से हमारे शरीर में एकत्र होता जाता है। औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाला हानिकारक धुंआ हमारी प्राकृतिक हवा को दुषित करती है जिससे हमारा स्वास्थय प्रभावित होता है, क्योंकि हम सांस के माध्यम से इसे ग्रहण करते हैं।