Mothers are our first teacher, best friend, and confidante. They sacrifice everything for their children and family without expecting anything in return. Mothers Day is a special occasion to celebrate the love, sacrifices, and dedication of our mothers. One of the best ways to express our love and gratitude towards our mother is by reciting Mothers Day poems in Hindi. In this article, we will explore some of the best Hindi poems for Mothers Day.
मेरी प्यारी माँ :-
क्या आपने कभी उन आँखों में देखा है?
दुनिया के ऊंच-नीच को देखने वाली आंखें
आंखें जो खुशी और दर्द के आंसू बहाती हैं
आंखें जिन्होंने उसके बच्चों के विकास को देखा है
एक माँ का प्यार किसी और की तरह नहीं है
निस्वार्थ, बिना शर्त और शुद्ध
वह अपने बच्चों की जरूरतों को खुद से ऊपर रखती है
उसका प्यार कोई सीमा नहीं जानता, कोई सीमा नहीं
मेरी प्यारी माँ, तुम मेरी चट्टान हो
तूने हर तूफान में मेरा हाथ थामा है
तूने मेरे आँसू पोंछे और मेरे घावों को चूमा है
आपने मेरे लिए इतना त्याग किया है
आज, मदर्स डे पर, मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं
आपके अटूट प्यार, आपकी देखभाल, आपके समर्थन के लिए
मैं तुम्हें शब्दों से ज्यादा प्यार करता हूं जो व्यक्त नहीं कर सकता
मेरी प्यारी माँ, तुम मेरी सब कुछ हो।
Mothers Day Poem in Hindi-2
माँ अगर तुम न होती तो मुझे समझाता कौन…
काँटो भरी इस मुश्किल राह पर चलना सिखाता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे लोरी सुनाता कौन…
खुद जागकर सारी रात चैन की नींद सुलाता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे चलना सिखलाता कौन…
ठोकर लगने पर रस्ते पर हाथ पकड़ कर संभालता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे बोलना सिखाता कौन…
बचपन के अ, आ, ई, पढ़ना-लिखना सिखाता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे हँसना सिखाता कौन…
गलती करने पर पापा की डाँट से बचाता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे परिवार का प्यार दिलाता कौन…
सब रिश्ते और नातों से मेरी मुलाकात कराता कौन….
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे गलती करने से रोकता कौन…
सही क्या हैं, गलत क्या हैं इसका फर्क बताता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे ‘प्यारी लाड़ो’ कहता कौन…
‘मेरी राज-दुलारी प्यारी बिटिया’ कहकर गले लगाता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे समाज मैं रहना सीखाता कौन…
तुम्हारे बिना ओ मेरी माँ मेरा अस्तित्व स्वीकारता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मेरा हौसला बढ़ाता कौन…
नारी की तीनों शक्ति से मुझे परिचित कराता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
वन्दना शर्मा
Mothers Day Poem in Hindi-3
घुटनो से रेंगते रेंगते
कब पैरो पर खड़ा हुआ
तेरी ममता की छाव में
ना जाने कब बड़ा हुआ
काला टीका दूध मलाई
आज भी सब कुछ वैसा हैं
एक मैं ही मैं हूँ हर जगह
प्यार ये तेरा कैसा हैं
सीदा-सादा , भोला-भाला
मैं ही सबसे अच्छा हूँ
कितना भी हो जाऊं बड़ा माँ
मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ
कैसा था नन्हा बचपन वो
माँ की गोद सुहाती थी ,
देख देख कर बच्चों को वो
फूली नहीं समाती थी।
ज़रा सी ठोकर लग जाती तो
माँ दौड़ी हुई आती थी ,
ज़ख्मों पर जब दवा लगाती
आंसू अपने छुपाती थी।
जब भी कोई ज़िद करते तो
प्यार से वो समझाती थी,
जब जब बच्चे रूठे उससे
माँ उन्हें मनाती थी।
खेल खेलते जब भी कोई
वो भी बच्चा बन जाती थी,
सवाल अगर कोई न आता
टीचर बन के पढ़ाती थी।
सबसे आगे रहें हमेशा
आस सदा ही लगाती थी ,
तारीफ़ अगर कोई भी करता
गर्व से वो इतराती थी।
होते अगर ज़रा उदास हम
दोस्त तुरन्त बन जाती थी ,
हँसते रोते बीता बचपन
माँ ही तो बस साथी थी।
माँ के मन को समझ न पाये
हम बच्चों की नादानी थी ,
जीती थी बच्चों की खातिर
माँ की यही कहानी थी।