जानिए मार्च में होली कब और क्यों मनाई जाती है ?

होली कब और क्यों मनाई जाती है :- होली, जिसे “रंगों का त्योहार” भी कहा जाता है, भारत में मनाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय और रंगीन त्योहारों में से एक त्यौहार है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसे सभी लोग मनाते हैं। होली न केवल भारत में बल्कि नेपाल, बांग्लादेश और कुछ अन्य देशों सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में भी मनाई जाती है।

जानिए मार्च में होली कब और क्यों मनाई जाती है ? होली कब और क्यों मनाई जाती है

इस आर्टिकल में, हम होली के बारे में सब कुछ – इसके इतिहास, महत्व, परंपराओं और उत्सवों पर चर्चा करेंगे। इस लेख के अंत तक, आपको यह स्पष्ट रूप से समझ में आ गया होगा कि होली क्या है और इसे इतने उत्साह और हर्षोल्लास के साथ क्यों मनाया जाता है।

होली का जन्म कैसे हुआ?

होली का जन्म कुछ विभिन्न कथाओं से जुड़ा हुआ है। एक कथा के अनुसार, होली का जन्म हिरण्यकश्यप नाम के राक्षस से हुआ था। हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु से असंभव माँग की थी कि वह अमर हो जाए और किसी भी प्रकार से मर नहीं सकता। लेकिन भगवान विष्णु ने अपनी योगमाया के द्वारा हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका उसकी सहायता करने के लिए आई थी। वह एक विशेष जलते हुए स्थान पर भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर बैठ गई थी जहां से वह भयंकर रूप से बच सकती थी। लेकिन भगवान विष्णु के आशीर्वाद से हिरण्यकश्यप का वध हो गया और होलिका खुशी में अपने भाई के वध के लिए जलते हुए स्थान पर खड़ी थी। फिर एक जादूगर ने उस स्थान पर सामान्य प्रजाति के लोगों के लिए फूलों से भरे परिणामी घड़े लगाये और होली के रूप में मनाने का आदेश दिया।

होली कब और क्यों मनाई जाती है ?

होली भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस त्योहार के माध्यम से हम सबको आनंद, मस्ती और उत्साह का अनुभव कराते हैं। होली का अर्थ होता है “वसंत का त्योहार”। इस त्योहार का महत्वपूर्ण एक हिस्सा है रंगों से खेलना और एक दूसरे पर अगर गुलाल डालना। इस लेख में, हम देखेंगे कि होली कब और क्यों मनाई जाती है।

मार्च महीने में होली कब है ?

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार मना जाता है। साल 2023 में होली 08 मार्च को है। 07 मार्च 2023 को होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन को छोटी होली भी कहा जाता है।

होली मनाने के पीछे क्या कहानी है? (होली का इतिहास)

होली का इतिहास प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि त्योहार की शुरुआत बुराई पर अच्छाई की जीत के उत्सव के रूप में हुई थी। पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकशिपु नाम का एक राजा था, जिसे भगवान ब्रह्मा ने वरदान दिया था जिससे वह लगभग अजेय हो गया था। राजा अभिमानी हो गया और उसने अपनी प्रजा को देवताओं के बजाय उसकी पूजा करने का आदेश दिया।

हालाँकि, उनके अपने पुत्र प्रह्लाद ने उनकी पूजा करने से इनकार कर दिया और इसके बजाय भगवान विष्णु से प्रार्थना की। इससे राजा को गुस्सा आया और उसने अपने बेटे को मारने की कोशिश की। लेकिन भगवान विष्णु ने हस्तक्षेप किया और प्रह्लाद को उसके पिता के क्रोध से बचाया। इस घटना ने बुराई पर अच्छाई की जीत को चिह्नित किया, और यह माना जाता है कि होली इस जीत का जश्न मनाती है।

होली कैसे मनाया जाता है ?

होली एक ऐसा त्यौहार है जो दो दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका दहन के रूप में जाना जाता है, और दूसरे दिन को रंगवाली होली या धुलंडी के रूप में जाना जाता है। होलिका दहन की पूर्व संध्या पर, लोग प्रह्लाद को मारने की कोशिश करने वाली राक्षसी होलिका के जलने के प्रतीक के रूप में अलाव जलाते हैं। लोग भगवान विष्णु की पूजा भी करते हैं और उनका आशीर्वाद मांगते हैं।

रंगवाली होली या धुलंडी के दिन लोग रंगों और पानी से खेलते हैं। वे एक-दूसरे के चेहरों पर रंगीन पाउडर लगाते हैं, एक-दूसरे पर पानी के गुब्बारे फेंकते हैं और संगीत की ताल पर नृत्य करते हैं। लोग गुजिया, मठरी और ठंडाई जैसे पारंपरिक व्यंजनों का भी लुत्फ उठाते हैं।

होली एक ऐसा समय है जब लोग अपने मतभेदों को भूल जाते हैं और प्यार और एकजुटता की भावना का जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं। यह गिले-शिकवे दूर करने, क्षमा करने और भूल जाने और नए सिरे से शुरुआत करने का समय है।

होली कितने देशों में मनाई जाती है

होली भारत के साथ-साथ दुनिया के कुछ अन्य देशों में भी मनाई जाती है। भारत के अलावा इस त्योहार को नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिजी आदि देशों में भी खूब धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि भारत में होली का त्योहार सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है।

होली मनाने के पीछे का मूल उद्देश्य क्या है?

होली मनाने के पीछे का मूल उद्देश्य लोगों को संगीत, नृत्य, उत्साह और मस्ती का अनुभव कराना है। इस त्योहार में लोग अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों आदि के साथ खुशियों का जश्न मनाते हैं। होली का मूल उद्देश्य लोगों में एकता की भावना का विकास करना भी है। इस त्योहार में लोग अपने भेदभाव को छोड़ देते हैं और एक दूसरे के साथ मिलजुलकर मस्ती करते हैं।

इसके अलावा, होली के माध्यम से लोग वसंत ऋतु का स्वागत भी करते हैं। वसंत ऋतु में प्रकृति नयी जगह लेती है और नए फूलों और नयी पत्तियों का उदय होता है। इस त्योहार में लोग प्रकृति का उत्साह भी जताते हैं और इसे अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं।

इस तरह होली का मूल उद्देश्य लोगों में खुशियों का जश्न मनाना है और उनके बीच एकता की भावना का विकास करना है।

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होली के इतिहास से जुड़ी कुछ रोचक बातें

होली भारत का प्रसिद्ध त्योहार है, जो भारत की संस्कृति और विरासत का हिस्सा है। होली का इतिहास कुछ रोचक बातें हैं, जो निम्नलिखित हैं:

>होली का नाम: होली का नाम ‘होलिका दहन’ से आया है, जिसे हिन्दू धर्म के देवता भगवान विष्णु की भक्त प्रहलाद ने जीता था।

>होली का इतिहास: होली का इतिहास प्राचीन भारत से जुड़ा है। इस त्योहार का महत्व मौसम के बदलाव से जुड़ा है।

>होली का खान-पान: होली के दिन लोग अलग-अलग खाने की चीजें बनाते हैं, जैसे मठरी, गुजिया, ठंडाई, आदि। ठंडाई में थोड़ा बांग भी मिलाया जाता है, जो इस दिन को और उत्साहवर्धक बनाता है।

>होली की बजाय रंगों का उपयोग: पहले यह त्योहार कुछ साधारण नहीं था, लेकिन बाद में लोग अलग-अलग रंगों का इस्तेमाल करने लगे। रंगों का उपयोग अपने दोस्तों के साथ खुशियों का जश्न मनाने के लिए होता है।

>होली के रंगों का महत्व: होली में इस्तेमाल किए जाने वाले रंगों का अपना महत्व होता है। पीला रंग उत्साह और खुशी का प्रतीक होता है, हरा रंग फलों और सब्जियों का प्रतीक होता है, लाल रंग प्यार और रोमांस का प्रतीक होता है, नीला रंग नीरवता और विश्वास का प्रतीक होता है।

>होली के रंगों का असर: होली में इस्तेमाल किए जाने वाले रंगों के असर को दर्शाते हुए, होली के बाद कई लोग त्वचा समस्याओं से पीड़ित हो जाते हैं। इसलिए, सलाह दी जाती है कि लोग विशेष तौर पर सस्ते और असुरक्षित रंगों का इस्तेमाल न करें।

>होली का महत्व वैदिक संस्कृति में: होली वैदिक संस्कृति में भी महत्वपूर्ण था। इसे वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता था, जो फसलों की उन्नति और समृद्धि का संकेत था।

होली का महत्व:-

बुराई पर अच्‍छाई की जीत की प्रतीक होली का सामाजिक महत्‍व भी है। होली का महत्व बहुत उच्च होता है। इस त्योहार को सभी धर्मों के लोग एक साथ मनाते हैं। होली का असली महत्व जीवन में रंग भरने के लिए होता है। यह एक ऐसा त्योहार है जो दोस्तों, परिवार और रिश्तेदारों को एक साथ लाता है। इस त्योहार में लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशी मनाते हैं। इससे लोगों के दिल में एक-दूसरे के प्रति भाईचारे का भाव आता है। होली के दिन लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिठाई खिलाते हैं और गुलाल फेंकते हैं। यह एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें एक-दूसरे के प्रति समर्पित होने की भावना देता है।

FAQ:-

होली कब मनाई जाती है?
उत्तर: होली फाल्गुन मास के पूर्णिमा को मनाई जाती है जो मार्च या फरवरी के महीने में पड़ता है।

होली क्यों मनाई जाती है?
उत्तर: होली रंगों का त्योहार होता है जो वसंत ऋतु के आगमन को दर्शाता है। यह त्योहार प्रकृति के प्रति प्रेम जताने के लिए भी मनाया जाता है।

होली का इतिहास क्या है?
उत्तर: होली का इतिहास पुरातन भारत से जुड़ा हुआ है। इस त्योहार का पहला उल्लेख रिग्वेद में मिलता है। इस त्योहार के दौरान भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।

होली कैसे मनाई जाती है?
उत्तर: होली के दौरान लोग रंगों से खेलते हैं, पूजा करते हैं, गाने गाते हैं और खाने-पीने का आनंद लेते हैं। इस त्योहार का उत्साह पूरे देश में देखा जा सकता है।

होली के नाम कहाँ से आया है?
उत्तर: होली का नाम “होलिका” नामक एक राक्षस से लिया गया है जिसे प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप द्वारा मार दिया गया था।