100+Acharya Chanakya niti Quotes in Hindi | Chanakya Motivational Quotes in Hindi

आचार्य चाणक्य का भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है । चाणक्य के समय भारत देश खंड-खंड में बंटा हुआ था । आचार्य चाणक्य ने भारत को फिर से संगठित करके चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाया। तक्षशिला विश्वविद्यालय में चाणक्य अर्थशास्त्र के आचार्य थे । चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से जाना जाता है। उन्होंने चाणक्य नीति नाम के ग्रंथ की भी रचना की थी । इस ग्रंथ में जीवन को सुखी और सफल बनाने की बहुत सारी नीतियां बताई गई हैं। अगर इन नीतियों का पालन किया जाता है तो हमारे जीवन में आनेवाली कई परेशानियों से बच सकते हैं। यहां जानिए ऐसे ही चाणक्य नीति के बारे मैं |

जैसे ही भय आपके करीब आये, उसपर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये.

जो लोगो पर कठोर से कठोर सजा को लागू करता है वो लोगो की नजर में घिनौना बनता जाता है, जबकि नरम सजा लागू करता है वह तुच्छ बनता है. लेकिन जो योग्य सजा को लागू करता है वह सम्माननीय कहलाता है.

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जब कोई सजा थोड़े मुआवजे के साथ दी जाती है, तब वह लोगो को नेकी करने के लिए निष्टावान एवम पैसे और ख़ुशी कमाने के लिए प्रेरित करती है

कोई भी व्यक्ति अपने कार्यो से महान होता है, अपने जन्म से नहीं.

शिक्षा इंसान का सबसे अच्छा दोस्त है. एक शिक्षित इंसान हर जगह सम्मान पाता है, शिक्षा सुन्दरता को भी पराजित कर सकती है.

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हर एक दोस्ती के पीछे अपना खुदका का स्वार्थ छिपा होता है, स्वार्थ के बिना कभी कोई दोस्ती नहीं होती. ये एक कटु सत्य है.

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जमा पूंजी ये होने वाले खर्चो में से ही बचायी जाती है वैसे ही जैसे आनेवाल ताजा पानी, निष्क्रिय पानी को बहाकर बचाया जाता है.

हंस वही रहते है जहा पानी हो, और वो जगह छोड़ देते है जहा पानी खत्म हो गया हो. क्यू ना ऐसा इंसान भी करे – प्रेमपूर्वक आये और प्रेमपूर्वक जाए.

एक इंसान कभी इमानदार नहीं हो सकता. सीधे पेड़ हमेशा पहले काटे जाते है और इमानदार लोग पहले ही ढीले (मरियल) होते है.

उन लोगो से कभी दोस्ती ना करे जो आपके स्तर से बहोत निचे या बहोत उपर हो, इस तरह की दोस्ती आपको कभी ख़ुशी नहीं दे सकती.

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एक बार यदि आपने कोई काम करना शुरू कर दिया, तो असफलता से मत डरिये. जो लोग इमानदारी से काम करते है वे हमेशा खुश होते है.

भले ही साप जहरीला क्यू ना हो, तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिये.

उन लोगो से कभी दोस्ती ना करे जो आपके स्तर से बहोत निचे या बहोत उपर हो, इस तरह की दोस्ती आपको कभी ख़ुशी नहीं दे सकती.

दुनिया की सबसे बड़ी ताकत युवाशक्ति और महिला की सुंदरता है.

संतुलित दिमाग के बराबर कोई स्टारफिश नहीं और संतोष के सामान दूसरी कोई ख़ुशी नहीं, उसी प्रकार लालच के समान कोई और बीमारी नही और दया के समान दूसरा कोई गुण नहीं.

जब तक आपका शरीर स्वस्थ रहेंगा तब तक मृत्यु आपके वश में होंगी. लेकिन फिर भी आप आत्मा को बचाने की कोशिश कीजिये, क्योकि जब मृत्यु पास होंगी तब आप क्या करोंगे?

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व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है और अकेले ही मर जाता है और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मो का फल खुद ही भुगतता है और वह अकेले ही नरक या स्वर्ग जाता है.

कोई भी काम शुरू करने से पहले, स्वयम से तीन प्रश्न कीजिये – मै ये क्यों कर रहा हु, इसके परिणाम क्या हो सकते है और क्या मै सफल होऊंगा और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जाये तभी आगे बढ़ना.

गरीबी, बीमारी, दुःख, कारावास और दुसरे पाप ये हमारे खुद के गुनाहों का ही फल है.

इस धरती पर तीन रत्न है, अनाज, पानी और मीठे शब्द – मुर्ख लोग पत्थरो के टुकडो को ही रत्न समझते है.

वह जो अपने समाज को छोड़कर दुसरे समाज को अपनाता है वह उस राजा के सामान है जो अच्छे रास्ते को छोड़कर दुराचारी रास्ते को अपनाता है.

जिस तरह गाय का बछड़ा हजारो गायो में अपनी माँ के पीछे जाता है उसी तरह मनुष्य के कर्म भी मनुष्य के ही पीछे जाते है.

उदारता, प्रेमदायक भाषण, हिम्मत और अच्छा चरित्र कभी प्राप्त नहीं किया जा सकता, ये सारे जन्मजात गुण ही होते है.

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इस बात को कभी व्यक्त मत होने दीजिये की आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ़ रहिये.

जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को यदि आग लगा दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है, उसी प्रकार एक पापी पुत्र पुरे परिवार बर्बाद कर देता है.

वह जो भलाई को लोगो के दिलो में सभी के लिए विकसित करता चला जाता है, वह आसानी से अपने लक्ष्य प्राप्ति के एक-एक कदम आगे बढ़ता चला जाता है.

समय को पहचानना ही मनुष्य के सीखने की सव्रोत्तम कला मानी गई है.

वृद्ध पुरुषों की सेवा के व्दारा मनुष्य व्यवहार कुशलता का ज्ञान प्राप्त कर श्रेय की प्राप्ति कर सकता ह

धर्मं का पालन ही सुख का मूल है.

भाग्य पुरुषार्थ के पीछे चलता है, अर्थात पुरुषार्थ के व्दारा भाग्य अनुकूल हो जाता है.

संकट प्रत्येक इन्सान पर आते है, परन्तु बुधिवान व्यक्ति संकटों और आपत्तियों से डरता है, उसे तभी तक डरना चाहिए जब तक वह सिर पर आ ही नहीं पड़ती, जब संकट और दुख आ ही जाए तो व्यक्ति को अपनी पूरी शक्ति से उन्हें दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए.

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इन्सान की तारकी और विनाश उसके अपने व्यवहार पर निर्भर करता है.

इन्सान को ज्यादा सरल और सीधे स्वभाव का भी नहीं होना चाहिए, इससे उसे सब लोग दुर्बल मानाने लगते हैं ओर हर समय उसे कष्ट देने का प्रयत्न करते हैं. जंगल में सीधे पेड़ कट दिये जाते है जबकि टेढ़े-मेढ़े वृक्षों को कोई हाथ भी नहीं लगाता.

क्रोध यमराज के समान है |तृष्णा वैतरणी है | विद्या कामधेनु है और संतोष इन्द्र के उद्यान नन्दन वन के समान |

कामी व्यक्ति सूक्ष्म कार्यों पर ध्यान नहीं दे सकता |

सत्संग ही स्वर्ग निवास है |

पहले पाच-छह सालों में अपने बच्चे को बड़े प्यार से रखिये. अगले पाच-छह साल उन्हें डांट-डपट के रखिये. जब वह सोलह साल का हो जाये तो उसके साथ मित्र की तरह व्यव्हार करे. आपके व्यस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र बनते हैं.

कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा. और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढिए.

अगर सांप जहरीला ना भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए.

इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये.

शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है. शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है.

जैसे ही भय आपके करीब आये, उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये.

जो लोग परमात्मा तक पहुंचना चाहते हैं उन्हें वाणी, मन, इन्द्रियों की पवित्रता और एक दयालु ह्रदय की आवश्यकता होती है.

सारस की तरह एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए और अपने उद्देश्य को स्थान की जानकारी, समय और योग्यता के अनुसार प्राप्त करना चाहिए.

एक उत्कृष्ट बात जो शेर से सीखी जा सकती है वो ये है कि व्यक्ति जो कुछ भी करना चाहता है उसे पूरे दिल और ज़ोरदार प्रयास के साथ करे.

एक अनपढ़ व्यक्ति का जीवन उसी तरह से बेकार है जैसे की कुत्ते की पूँछ, जो ना उसके पीछे का भाग ढकती  है ना ही उसे कीड़े-मकौडों के डंक से बचाती है.

जो सुख-शांति व्यक्ति को आध्यात्मिक शान्ति के अमृत से संतुष्ट होने पे मिलती है वो लालची लोगों को बेचैनी से इधर-उधर घूमने से नहीं मिलती.

वो जिसका ज्ञान बस किताबों तक सीमित है और जिसका धन दूसरों के कब्ज़े मैं है, वो ज़रुरत पड़ने पर ना अपना ज्ञान प्रयोग कर सकता है ना धन.

 पृथ्वी सत्य की शक्ति द्वारा समर्थित है; ये सत्य की शक्ति ही है जो सूरज को चमक और हवा को वेग देती है; दरअसल सभी चीजें सत्य पर निर्भर करती हैं.

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अगर हो सके तो विष मे से भी अमृत निकाल लें,
यदि सोना गन्दगी में भी पड़ा हो तो उसे उठाये, धोएं और अपनाये,
निचले कुल मे जन्म लेने वाले से भी सर्वोत्तम ज्ञान ग्रहण करें,
उसी तरह यदि कोई बदनाम घर की कन्या भी महान गुणो से संपनन है और आपको कोई सीख देती है तो गहण करे.

भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता, सुन्दर स्त्री और उसे भोगने के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धनराशी तथा दान देने की भावना – ऐसे संयोगों का होना सामान्य तप का फल नहीं है।

पुत्र वही है जो पिता का कहना मानता हो, पिता वही है जो पुत्रों का पालन-पोषण करे, मित्र वही है जिस पर आप विश्वास कर सकते हों और पत्नी वही है जिससे सुख प्राप्त हो।

ऐसे लोगों से बचे जो आपके मुह पर तो मीठी बातें करते हैं, लेकिन आपके पीठ पीछे आपको बर्बाद करने की योजना बनाते है, ऐसा करने वाले तो उस विष के घड़े के समान है जिसकी उपरी सतह दूध से भरी है।

एक बुरे मित्र पर तो कभी विश्वास ना करे। एक अच्छे मित्र पर भी विश्वास ना करें। क्यूंकि यदि ऐसे लोग आपसे रुष्ट होते है तो आप के सभी राज से पर्दा खोल देंगे।

मन में सोंचे हुए कार्य को किसी के सामने प्रकट न करें बल्कि मनन पूर्वक उसकी सुरक्षा करते हुए उसे कार्य में परिणत कर दें।

 मुर्खता दुखदायी है, जवानी भी दुखदायी है,लेकिन इन सबसे कहीं ज्यादा दुखदायी किसी दुसरे के घर जाकर उसका अहसान लेना है।

हर पर्वत पर माणिक्य नहीं होते,  हर हाथी के सर पर मणी नहीं होता, सज्जन पुरुष भी हर जगह नहीं होते और हर वन मे चन्दन के वृक्ष भी नहीं होते हैं।

बुद्धिमान पिता को अपने पुत्रों को शुभ गुणों की सीख देनी चाहिए क्योंकि नीतिज्ञ और ज्ञानी व्यक्तियों की ही कुल में पूजा होती है।

जो माता व् पिता अपने बच्चों को शिक्षा नहीं देते है वो तो बच्चों के शत्रु के सामान हैं। क्योंकि वे विद्याहीन बालक विद्वानों की सभा में वैसे ही तिरस्कृत किये जाते हैं जैसे हंसो की सभा मे बगुले।

लाड-प्यार से बच्चों मे गलत आदते ढलती है, उन्हें कड़ी शिक्षा देने से वे अच्छी आदते सीखते है, इसलिए बच्चों को जरुरत पड़ने पर दण्डित करें, ज्यादा लाड ना करें।

ऐसा एक भी दिन नहीं जाना चाहिए जब आपने एक श्लोक, आधा श्लोक, चौथाई श्लोक, या श्लोक का केवल एक अक्षर नहीं सीखा, या आपने दान, अभ्यास या कोई पवित्र कार्य नहीं किया।

पत्नी का वियोग होना, आपने ही लोगो से बे-इजजत होना, बचा हुआ ऋण, दुष्ट राजा की सेवा करना, गरीबी एवं दरिद्रों की सभा – ये छह बातें शरीर को बिना अग्नि के ही जला देती हैं।

नदी के किनारे वाले वृक्ष, दुसरे व्यक्ति के घर मे जाने अथवा रहने वाली स्त्री एवं बिना मंत्रियों का राजा – ये सब निश्चय ही शीघ्र नस्ट हो जाते हैं।

एक ब्राह्मण का बल तेज और विद्या है, एक राजा का बल उसकी सेना मे है, एक वैशय का बल उसकी दौलत मे है तथा एक शुद्र का बल उसकी सेवा परायणता मे है।

ब्राह्मण दक्षिणा मिलने के पश्चात् आपने यजमानो को छोड़ देते है, विद्वान विद्या प्राप्ति के बाद गुरु को छोड़ जाते हैं और पशु जले हुए वन को त्याग देते हैं।

इस दुनिया  मे ऐसा किसका घर है जिस पर कोई कलंक नहीं, वह कौन है जो रोग और दुख से मुक्त है.सदा सुख किसको रहता है?

मनुष्य के कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, मनुष्य के बोल चल से उसके देश की ख्याति बढ़ती है, मान सम्मान उसके प्रेम को बढ़ता है, एवं उसके शारीर का गठन उसे भोजन से बढ़ता है.

लड़की का बयाह अच्छे खानदान मे करना चाहिए. पुत्र  को अचछी शिक्षा देनी चाहिए,  शत्रु को आपत्ति और कष्टों में डालना चाहिए, एवं मित्रों को धर्म कर्म में लगाना चाहिए.

एक दुर्जन और एक सर्प मे यह अंतर है की साप तभी डंख मरेगा जब उसकी जान को खतरा हो लेकिन दुर्जन पग पग पर हानि पहुचने की कोशिश करेगा .

राजा लोग अपने आस पास अच्छे कुल के लोगो को इसलिए रखते है क्योंकि ऐसे लोग ना आरम्भ मे, ना बीच मे और  ना ही  अंत मे साथ छोड़कर जाते है.

जब प्रलय का समय आता है तो समुद्र भी अपनी मयारदा छोड़कर किनारों को छोड़ अथवा तोड़ जाते है, लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के सामान भयंकर आपत्ति अवं विपत्ति में भी आपनी मर्यादा नहीं बदलते.

मूर्खो के साथ मित्रता नहीं रखनी चाहिए उन्हें त्याग देना ही उचित है, क्योंकि प्रत्यक्ष रूप से वे दो पैरों वाले पशु के सामान हैं,जो अपने  धारदार वचनो से वैसे ही हदय को छलनी करता है जैसे अदृश्य काँटा शारीर में घुसकर छलनी करता ह

रूप और यौवन से सम्पन्न तथा कुलीन परिवार में जन्मा लेने पर भी विद्या हीन पुरुष पलाश के फूल के समान है जो सुन्दर तो है लेकिन खुशबु रहित है.

हे बुद्धिमान लोगों ! अपना धन उन्ही को दो जो उसके योग्य हों और किसी को नहीं. बादलों के द्वारा लिया गया समुद्र का जल हमेशा मीठा होता है.

यदि किसी का स्वभाव अच्छा है तो उसे किसी और गुण की क्या जरूरत है ? यदि आदमी के पास प्रसिद्धि है तो भला उसे और किसी श्रृंगार की क्या आवश्यकता है.

संतुलित दिमाग जैसी कोई सादगी नहीं है, संतोष जैसा कोई सुख नहीं है, लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं है, और दया जैसा कोई पुण्य नहीं है.

सेवक को तब परखें जब वह काम ना कर रहा हो, रिश्तेदार को किसी कठिनाई  में, मित्र को संकट में, और पत्नी को घोर विपत्ति में.

जब आप किसी काम की शुरुआत करें, तो असफलता से मत डरें और उस काम को ना छोड़ें. जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वो सबसे प्रसन्न होते हैं.

कभी भी उनसे मित्रता मत कीजिये जो आपसे कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के हों. ऐसी मित्रता कभी आपको ख़ुशी नहीं देगी.

अपमानित हो के जीने से अच्छा मरना है. मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है, लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुःख लाता

वह जो हमारे चिंतन में रहता है वह करीब है, भले ही वास्तविकता में वह बहुत दूर ही क्यों ना हो; लेकिन जो हमारे ह्रदय में नहीं है वो करीब होते हुए भी बहुत दूर होता है.

वह जो अपने परिवार से अत्यधिक जुड़ा हुआ है, उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है, क्योंकि सभी दुखों कि जड़ लगाव है. इसलिए खुश रहने कि लिए लगाव छोड़ देना चाहिए.

सांप के फन, मक्खी के मुख और बिच्छु के डंक में ज़हर होता है; पर दुष्ट व्यक्ति तो इससे भरा होता है.

वेश्याएं निर्धनों के साथ नहीं रहतीं, नागरिक कमजोर संगठन का समर्थन नहीं करते, और पक्षी उस पेड़ पर घोंसला नहीं बनाते जिस पे फल ना हों.

हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं.

फूलों की सुगंध केवल वायु की दिशा में फैलती है. लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है.

पहले पांच सालों में अपने बच्चे को बड़े प्यार से रखिये. अगले पांच साल उन्हें डांट-डपट के रखिये. जब वह सोलह साल का हो जाये तो उसके साथ एक मित्र की तरह व्यवहार करिए. आपके वयस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र हैं.

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सबसे अच्छे अनमोल वचन

सबसे बड़ा गुरु मन्त्र है : कभी भी अपने राज़ दूसरों को मत बताएं. ये आपको बर्वाद कर देगा.

सर्प, नृप, शेर, डंक मारने वाले ततैया, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्तों, और एक मूर्ख: इन सातों को नीद से नहीं उठाना चाहिए.

किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना

जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होगे। उसे इस बात का पता चलेगा कि किन बातों का अनुशरण करना चाहिए और किनका नहीं। उसे अच्छाई और बुराई का भी ज्ञात होगा और अंततः उसे सर्वोत्तम का भी ज्ञान होगा।

इसलिए लोगो का भला करने के लिए मै उन बातों को कहूंगा जिनसे लोग सभी चीजों को सही परिपेक्ष्य मे देखेगे।

एक पंडित भी घोर कष्ट में आ जाता है यदि वह किसी मुर्ख को उपदेश देता है, यदि वह एक दुष्ट पत्नी का पालन-पोषण करता है या किसी दुखी व्यक्ति के साथ अतयंत घनिष्ठ सम्बन्ध बना लेता है.

दुष्ट पत्नी, झूठा मित्र, बदमाश नौकर और सर्प के साथ निवास साक्षात् मृत्यु के समान है।

व्यक्ति को आने वाली मुसीबतो से निबटने के लिए धन संचय करना चाहिए। उसे धन-सम्पदा त्यागकर भी पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए। लेकिन यदि आत्मा की सुरक्षा की बात आती है तो उसे धन और पत्नी दोनो को तुक्ष्य समझना चाहिए।

भविष्य में आने वाली मुसीबतो के लिए धन एकत्रित करें। ऐसा ना सोचें की धनवान व्यक्ति को मुसीबत कैसी? जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन भी तेजी से घटने लगता है।

उस देश मे निवास न करें जहाँ आपकी कोई ईज्जत नहीं हो, जहा आप रोजगार नहीं कमा सकते, जहा आपका कोई मित्र नहीं और जहा आप कोई ज्ञान आर्जित नहीं कर सकते।

जो व्यक्ति कसी नाशवंत चीज के लिए कभी नाश नहीं होने वाली चीज को छोड़ देता है, तो उसके हाथ से अविनाशी वस्तु तो चली ही जाती है और इसमे कोई संदेह नहीं की नाशवान को भी वह खो देता है।

एक बुद्धिमान व्यक्ति को किसी इज्जतदार घर की अविवाहित कन्या से किस वयंग होने के बावजूद भी विवाह करना चाहिए। उसे किसी हीन घर की अत्यंत सुन्दर स्त्री से भी विवाह नहीं करनी चाहिए। शादी-विवाह हमेशा बराबरी के घरो मे ही उिचत होता है।